प्रस्तावना :
भ्रष्टाचार एक संक्रामक बीमारी है जो लोगों के दिमाग में पूरी तरह से फैल गया है | हमारे समाज में इस तरह की गतिविधियों को करने क लिए किसी ने जन्म नहीं लिया | लेकिन जीवन में कुछ बुरी स्थितियों ने उन्हें भ्रष्टाचार के लिए मजबूर कर दिया है |
भ्रष्टाचार
भारत में भ्रष्टाचार की चर्चा आंदोलन का एक प्रमुख विषय रहा है | देश की आजादी के एक दशक बाद से ही भारत भ्रष्टाचार के दलदल में धंसते हुए दिखाई देने लगा था और उस समय संसद में भी इस बात पर बहस चल रही थी |
जब कोई व्यक्ति व्यवस्था के मान्य नियमों के विरुद्ध जाकर अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए गलत आचरण करता है | उस व्यक्ति को भ्रष्टाचारी कहा जाता है सोने की चिड़िया कहा जानें वाले भारत देश में भ्रष्टाचार अपनी जड़ें फैला रहा है | भ्रष्टाचार के मामले में भारत दुनिया के ९४वें स्थान पर है |
हमारा भारत देश पहले से ही अपनी संस्कृति और सभ्यता के लिए जाना जाता है | भ्रष्टाचार दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है – भ्रष्ट+आचरण हमारे देश में महामारी की तरह फ़ैल गया है | दिन प्रतिदिन बढ़ते हुए भ्रष्टाचार के कारण ही हमारे देश की स्थिति बिगड़ गई थी |
भ्रष्टाचार के प्रकार
चोरी करना , बेईमानी करना, रिश्वत लेना, चुनाव में धांधली, पैसों के लिए धमकाना, टैक्स चोरी करना, झूठी गवाही, झूठा मुकदमा करना, हफ्ता वसूली करना आदि भ्रष्टाचार के कई प्रकार हैं | कई जगहों पर धर्म,के नाम पर लोगों का शोषण किया जा रहा है | सरकारी दफ्तरों में भी घूस लिए बिना हो कोई काम जल्दी होता है |
डॉ राममनोहर लोहिया
२१ दिसंबर १९६३ को भारत में भ्रष्टाचार के खात्मे पर संसद में हुई बहस पर भारत के स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी डॉ राममनोहर लोहिया ने जो भाषण दिया था वह आज भी प्रासंगिक है | उस समय उन्होंने कहा था की सिंहासन और व्यापार के बिच सम्बन्ध भारत में जितना दूषित, भ्रष्ट और बेईमान हो गया है, उतना दुनिया के इतिहास में कभी नहीं हुआ था |
भ्रष्टाचार से देश की अर्थव्यवस्था और प्रत्येक व्यक्ति पर विपरीत प्रभाव पड़ता है | भारत में राजनितिक एवं नौकरशाही का भ्रष्टाचार बहुत ही व्यापक है | भ्रष्टाचार के कारण ही देश का आर्थिक विकास रुक गया है | हमारा देश अन्य देशों की तुलना में पिछड़ता जा रहा है | भ्रष्टाचार के कारण ही सरकार द्वारा बनाई गई योजनाओं का लाभ गरीबों को नहीं मिल रहा है |
भ्रष्टाचार रोकने के उपाय :
कानून और सरकार से लोगों की मानसिकता बदलना जरुरी है | भ्रष्टाचार हमारे नैतिक जीवन में अधिक प्रभाव डाल रहा है | इसलिए छोटे पर से ही बच्चों को नैतिकता का आचरण का पाठ पढ़ना जरुरी है | जिससे बच्चा बड़ा होकर किसी भी गलत काम में शामिल न हो |