प्रस्तावना :
जलवायु परिवर्तन पृथ्वी पर जलवायु परिस्थतियों में परिवर्तन है | वर्तमान समय में मानव द्वारा विकास क्रम में अंधाधुंध औद्योगिकरण से जलवायु में बदलाव हो रहा है | जलवायु में हो रहे इन सभी परिवर्तन ने पृथ्वी पर खतरे की घंटी बजा दी है | जलवायु परिवर्तन आज वैश्विक स्तर पर एक गंभीर समस्या बन चूका है |
जलवायु परिवर्तन क्या है :
मौसम की अपनी खासियत होती है | लेकिन अब इसका ढंग बदल रहा है | जलवायु परिवर्तन होने के कारण गर्मी लंबी होती जा रही है और सर्दी छोटी होती जा रही है |जलवायु परिवर्तन को विस्तार रूप से यह जान लेना जरुरी होगा की जलवायु किसे कहा जाता है | किसी भी स्थान का दीर्घकालीन मौसम जलवायु कहलाता है |
जलवायु परिवर्तन के प्रभाव:-
वनों पर प्रभाव
जलवायु परिवर्तन के कारण धरती पर जल की पूरी प्रणाली अव्यवस्थित हो गई है | वर्षा का स्वरुप भी अनिश्चित हो गया है | जिसके कारण जंगलों में रहने वाले जानवरों और पाए-पौधों की अनेक प्रजातियाँ विलुप्त होने के कारण कम होती जा रही हैं |
जल पर पड़ने वाला नकारात्मक प्रभाव
वनों में होने वाले दुष्प्रभाव
पृथ्वी की कक्षा में बदलाव
पृथ्वी की कक्षा में परिवर्तन होने के कारण सूर्य के प्रकाश के मौसमी वितरण जिससे सतह पर पहुँचने वाले सूर्य के प्रकाश की मात्रा प्रभावित होती है | कक्षीय परिवर्तन तीन प्रकार के होते हैं | इनमें पृथ्वी की विकेंद्रता में परिवर्तन पृथ्वी के घूर्णन के अक्ष के झुकाव कोण में परिवर्तन और पृथ्वी की धुरी की विकेंद्रता शामिल है |
निष्कर्ष :
विश्व तापमान में वृद्धि का मुख्य कारण पर्यावरण में ग्रीन हाउस गैस जैसे (कार्बनडाई ऑक्साइड, मीथेन, नाइट्रियस ऑक्साइड, हाइड्रो फ्लोरो कार्बन, सल्फर डाईऑक्साइड) की मात्रा में बढ़ोतरी का होना है | जलवातु परिवर्तन के कारण कम वर्षा होने के कारण कृषि उत्पादन में कमी आई है |