प्रस्तावना :
जलवायु परिवर्तन मतलब जलवायु की स्थितियों और रचना में अलग प्रकार के बदलाव हो जाते है | जलवायु परिवर्तन अलग अलग कारणों से होता है | जलवायु परिवर्तन का प्रभाव प्रकृति के ऊपर होता है | जलवायु परिवर्तन बहुत सालों हो रहा है |
इस पुरे वातावरण में बहुत सारे बदलाव प्राकृतिक कारणों से प्रभाव होते है | कही प्राकृतिक घटक वातावरण में दबाव डालते है | जैसे की सौर विकिरण में असमानता, ज्वालामुखी विस्फोट ई. घटकों का प्रभाव पद जाता है |
वनों पर प्रभाव
वन पर्यावरण का संतुलन बना के रखने लिए बहुत बड़ी भूमिका निभाते है | वन कार्बन डाइऑक्साइड को शोषित करते है और हर मनुष्य को ऑक्सीजन प्राप्त करते है |
वातावरण में कई बदलाव के कारण पेड़ो की कई प्रजातिया नष्ट हो रही है | पेड और पौधों के विलुप्त होने के कारण जैव विविधता कम होती जा रही है |
ध्रुवीय स्थान पर प्रभाव
बदलते जलवायु परिवर्तन का परिणाम ध्रुवीय स्थान पर होता है | यदि परिवर्तन हमेशा ऐसे ही चालू रहेगा तो आने वाले समय में ध्रुवीय स्थान पर जीवन पूरी तरह से नष्ट हो जायेगा |
जल प्रभाव
जलवायु के परिवर्तन के कारण हमारे सभी जल प्रणाली के ऊपर बहुत बड़ा प्रभाव हो रहा है | इस बदलते मौसम की वजह से वर्षा के स्वरुप में परिवर्तन हो रहा है और अलग अलग जगह पे बाढ़ की स्थिति निर्माण हो रही है | और कई जगह सुखी पड रही है |
वन्य जीव पर प्रभाव
बदलते परिवर्तन की वजह से बाघ, अफ़्रीकी हाथियों, एशियाई गेंडो और ध्रुवीय भालू यह सभी जंगली जानवरों की संख्या कम होती जा रही है |
जलवायु परिवर्तन का प्रभाव जानवरों के ऊपर हो रहा है और वो उसका सामना नही कर पा रहे है | इसलिए यह जानवरों की प्रजाति नष्ट होती जा रही है |
निष्कर्ष :
जलवायु परिवर्तन होने के कारण इसका प्रभाव ज्यादा तो पर्यावरण पे हो रहा है |