प्रस्तावना:
बाल दिवस भारत देश में मनाने का करण केवल हमारे देश के पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्मदिन था और इसी जन्मदिन के उपलक्ष में बाल दिवस मनाया जाता है, पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को हुआ था | क्योंकि बच्चे पंडित जवाहरलाल नेहरू जी को पसंद थे, इसी कारण उन्होंने अपनी जन्म दिवस पर बाल दिवस मनाने का घोषणा किया| इसी घोषणा के कारण भारत में सन 1956 सें प्रतिवर्ष 14 नवंबर को बाल दिवस मनाने का पर्व मनाया जाता है|
भारत में बाल दिवस मनाने का कारण
हमारे महान भारत देश में बच्चो पर होते हुए शोषण को देखकर जब पंडित जवाहरलाल नेहरू ने आवाज उठाई, तब वे बच्चों पर हो रहे शोषण पर रोक लगाने में सक्षम रहे | जिसके कारण यह देखा गया कीं, बच्चों पर हो रहे शोषण में कमी आई है | जब नेहरू जी ने इसका अध्ययन किया, और इसके लिए भी कोई कानून बनाना चाहिए | और इसी कारण नेहरु जी ने एंटी चाइल्ड लेबर ब्यूरो का विधेयक पारित किया | बच्चों की उज्जवल भविष्य हेतु नेहरू जी का उठाया हुआ वह सबसे बड़ा कदम था, जिसके कारण आज भी भारत में बाल दिवस का उत्सव सम्मान के साथ मनाया जाता है|
बाल दिवस मनाने पर होने वाले लाभ
बाल दिवस मनाने पर भारत देश में बच्चों पर हो रहे शोषण की रोकथाम तीव्रता आई हैं | बच्चों को आधुनिक तौर पर शिक्षा प्राप्त हो रही है, उनके रहन सहन में भी सुधार आया है, और जो कि उन्हें आधुनिक तौर पर शिक्षा प्राप्त हो रही है| इसी कारण से बच्चों के भविष्य में विकास भी कर रहे हैं, बाल दिवस मनाने पर सबसे बड़ा प्रभाव सरकारी विद्यालय में भी पड़ा है| सरकारी विद्यालय में बच्चों को अनदेखा करके उनके हिस्से का भोजन तथा कपड़े किताबे उन्हें न देकर ब्लैक में बेच दिए जाते थे, किंतु अब ऐसा नहीं रहा, अब सही तरीके से सरकार के नियमानुसार बच्चों से पूछताछ होती है, की उन्हें किसी वस्तु की कमी तो नहीं | इस प्रकार से उनकी गुणवत्ता में कोई कमी नहीं हो रही है,` इसकी जानकारी प्राप्त होती रहती है |
बाल दिवस बनाने का विधि
बाल दिवस मनाने हेतु विभिन्न कार्यक्रमों तथा विभिन्न माध्यमों से मनाया जाता है, बच्चे भगवान के रूप होते हैं इस प्रकार से भारत में सभी विद्यालयों तथा सामाजिक स्तर पर बाल दिवस मनाया जाता है | बच्चों का शोषण न करना, बच्चों को स्कूलों में समय से भोजन देना वस्त्र उपलब्ध कराना उनकी सेहत का ध्यान रखना यह सब बाल दिवस मनाने के पूर्व वर्ष इसका ख्याल रखा जाता है | तथा बाल दिवस के दिन बच्चों को स्कूलों में तथा घर – घर मिठाइयां, कपड़े, पुस्तकें, उपहार तथा उच्च विचारों द्वारा भाषण देते हुए सम्मानित किया जाता है|
निष्कर्ष:
हमें बच्चों पर मानसिक तनाव न डालकर उन्हें प्रेम से समझाना चाहिए, और उनकी शारीरिक विकास हेतु उन्हें आवश्यकतानुसार खेलने कूदने का अवसर प्रदान करना चाहिए , बच्चों की पर्वरिश में हमें कभी-भी भेद-भाव नहीं करना चाहिए| बाल दिवस हमें यह संदेश देता है कि, बचपन कभी दोबारा नहीं आता, और इसे माता-पिता को अपनी नैतिक जिम्मेदारी समझते हुए बच्चों को एक निश्चित आजादी देनी चाहिए जिससे उनका मन खुश रहे|