दोस्तों आप सभी लोगों को मालूम होगा की प्रत्येक लोगों के जीवन का मुख्य हिस्सा बचपन ही होता है | क्योंकि बचपन का दिन सबका बहुत ही अच्छा होता है, जो कभी वापस लौट कर नहीं आता, दोस्तों इसी प्रकार मेरे भी बचपन के दिन कुछ ऐसे ही था |
प्रस्तावना
बचपन के दिन बड़े ही सुहावने होते हैं, अपने बचपन की याद हर किसी को आती है | बचपन की वो मीठी – मीठी यादों में खेलना, कूदना, माँ का खाना लेकर पीछे दौड़ना, और वो मार खाकर स्कूल जाना | गलतियाँ करने के बाद घर में छुप कर बैठना, पेड़ों पर चढ़कर फलों को तोड़ना मालिक आने पर भागना बचपन में जो मजा अब वो यादें बन गई है |
मेरा बचपन
मेरे बचपन का दिन किसी जन्नत से कम नहीं था, बचपन में बहुत मस्ती और शैतानियां करता था | मैं अपने बचपन का वो दिन कभी नहीं भूल सकता मैं बहुत ही चंचल था | जिसके कारण मुझे कभी डाँट भी पड़ती थी और उतना ही दुलार और प्यार भी मिलता था |
जब मुझे कोई डाँटता था तब मैं अपनीं माँ के आँचल में जाकर छुप जाता था, माँ जब लोरियाँ सुनाती थी तो सुकून जकी नींद आती थी अब बचपन का सुकून भरा नींद नसीब नहीं होता |
बचपन की मस्ती
बचपन के वो दिन कितने खूबसूरत हुआ करता था, जब दो उंगलियाँ जुडनें से दोस्ती फिर से शुरु हो जाता करता था | बचपन में मैं सुबह उठाते ही अपने दोस्तों के साथ खेलने निकल जाता था, दोस्तों के साथ इकठ्ठा होकर कबड्डी, गुल्ली डंडा, खो-खो, लप्पा छुप्पी,लंगड़ी टाँग, चिड़िया उड़ – गधा उड़ आदि जैसे खेल खेलता था |
दोस्तों के साथ उंची आवाज़ में “अक्कड़ बक्कड बम्बा वो अस्सी नब्बे पूरे सौ , सौ में लगा धागा चोर निकल कर भागा” और “पौस्म पा भाई पौस्म पा” इन शब्दों के बिना तो सभी खेल अधूरे से लगते थे |
स्कूल की यादें
स्कूल का गृहकार्य न होने पर मैं स्कूल नहीं जाता था, माँ मारते हुए लेकर जाती थी, और स्कूल में गुरुजी भी दंड देते थे | बचपन में हम स्कूल जानें के समय हर साल नई किताब -कापियों और यूनिफार्म को खरीदनें के लिए रोमांचित हुआ करते थे | \
नया बस्ता और किताब के साथ नई यूनिफार्म और एक हाथ में पानी की बॉटल हाथ छाता लेकर स्कूल जाते थे, और पल-पलट कर मुस्कुराते हुए विदा करती थी | माँ के हाथ का बनाया हुआ मीठा पराठा दोस्तों के साथ मिल-जुलकर खानें का मज़ा ही कुछ और था | गर्मी की छुट्टी मिलने पर हम सबसे ज्यादा खुश हुआ करते थे |
बचपन के दिन में हम बेफिक्र हुआ करते थे, पढाई लिखाई की चिंता नहीं होती थी | बचपन इतना अच्छा होता है, की सभी लोगों को बचपन की याद बहुत आती है | सावन के महीनों में झूले पर दोस्तों के साथ झूला करते थे | थोड़ा बड़ा होने के बाद मैं अपने मित्रों के साथ क्रिकेट खेलनें जाता था और पढाई की व्यस्तता और समयभाव के कारण मैं खेल कूद में कम ध्यान देने लगा |