प्रस्तावना :
“बुद्ध पूर्णिमा” बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए सबसे बड़ा त्यौहार है | बुद्ध पूर्णिमा को बुद्ध जयंती के नाम से भी जाना जाता है | हिन्दू पंचांग के अनुसार बुद्ध पूर्णिमा वैशाख माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है | महात्मा बुद्ध का जन्म वैशाख पूर्णिमा को हुआ था | भगवान बुद्ध को विष्णु जी का अवतार माना जाता है | गौतम बुद्ध के उपदेश का भाव यह था की हिंसा का उत्तर अहिंसा, दया और प्रेम से देना चाहिए |
पूर्णिमा के दिन गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था | इसी दिन उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और इसी दिन उनका महानिर्वाण भी हुआ था | ५६३ ई.पू. वैशाख मॉस की पूर्णिमा को गौतम बुद्ध का जन्म लुंबिनी शाक्य राज्य में हुआ था | इस पूर्णिमा के दिन ही ८० वर्ष की आयु में उन्होंने कुशीनगर में निर्वाण प्राप्त किया था | आज के समय में कुशीनगर में उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जनपद का एक कस्बा है |
पूर्णिमा के दिन भगवान गौतम बुद्ध का जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण यह तीनों एक ही दिन अर्थात वैशाख पूर्णिमा के दिन हुआ था | इसलिए इसे ‘वैशाख पूर्णिमा’ भी कहा जाता है | यह भगवान गौतम बुद्ध की जयंती है |
ऐसा किसी अन्य महापुरुष के साथ आज तक नहीं हुआ था | भगवान गौतम बुद्ध अपने मानवतावादी एवं विज्ञानवादी तथा बौद्ध धर्म दर्शन से इस दुनियां के सबसे महान महापुरुष हैं | इसी दिन भगवान गौतम बुद्ध को बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी |
बौद्ध धर्म के अनुयायी बुद्ध पूर्णिमा को पुरे विश्व में बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं | हिंदू धर्मावलंबियों के लिए भगवान बुद्ध विष्णु भगवान के नौवें अवतार हैं | बुद्ध पूर्णिमा का यह दिन हिन्दुओं के लिए पवित्र माना जाता है |
सत्य के महान अन्वेषक, मानवता के पुजारी और संपूर्ण विश्व को अहिंसा का संदेश देने वाले गौतम बुद्ध का जन्म इस दिन होने के कारण बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए इस पूर्णिमा का विशेष महत्व है | बिहार में स्थित बोधगया नमक स्थान हिंदू और बौद्ध धर्मावलंबियों का पवित्र तीर्थ स्थान है |
गौतम बुद्ध कपिलवस्तु के राजा शुद्धोदन के पुत्र थे | इनका बचपन का नाम सिद्धार्थ था | ज्ञान प्राप्त करने के बाद सिद्धार्थ ने जिन पांच ब्राह्मणों को सबसे पहले धर्म का उपदेश दिया था उनमें ब्राह्मण कौन्दियाँ भी थे |
गृहत्याग के पश्चात सिद्धार्थ सत्य की खोज के लिए सात वर्षों तक वनों में भटकते रहे | वहां उन्होंने कठोर तपस्या किया और अंततः वैशाख पूर्णिमा के दिन बोधगया में बोधिवृक्ष के निचे उन्हें बुद्धत्व ज्ञान की प्राप्ति हुई | तभी से बुद्ध पूर्णिमा के रूप में माना जाता है |