पुस्तकों पर निबंध – पढ़े यहाँ Book Essay in Hindi

प्रस्तावना :

पुस्तक हर एक इंसान के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है | पुस्तक से हमें ज्ञान की प्राप्ति होती है | पुस्तक हमारी सबसे अच्छी मित्र होती है | पुस्तक जितना वफादार और कोई नहीं हो सकता है | पुस्तकों से हमारा अच्छा मनोरंजन हो जाता है | पुस्तक हमारी बचपन से ही मित्र होती है | स्कूल की पढ़ाई से लेकर कॉलेज की पढाई तक पुस्तक हमारा साथ कभी नहीं छोड़ती है | पुस्तक ही हमें जीवन का सही मार्ग दिखाती है |

पुस्तक ही हमारा सच्चा मित्र है 

मेरी प्रिय पुस्तकहमें ज्ञान और अच्छी सिख मिलती है | पुस्तक ही हमारा मनोरंजन करती हैं | पुस्तक ही इस जीवन में सच्ची मित्रता निभाती है | पुस्तक तब तक हमारा साथ नहीं छोड़ती है जब तक हमें अपने पैरों पर खड़े नहीं कर देती वह किसी भी व्यक्ति को काबिलियत बनाकर अपनी मित्रता निभाती है | इसलिए पुस्तकों को ही एक व्यक्ति का सबसे अच्छा मित्र माना जाता है | पुस्तक हमें बहुत कुछ देती है लेकिन बदले में कुछ नहीं मांगती है |

पुस्तक का महत्व 

पुस्तकों का निर्माणमनुष्य एक सामाजिक प्राणी है समाज में रहता है | समाज में रहने के लिए उसे अच्छी बातों का ज्ञान होना चाहिए | पुस्तक ही ज्ञान की सागर होती है पुस्तक से ही हमें ज्ञान मिलता है | एक अच्छा पुस्तक व्यक्ति के दिमाग को तुरंत उभार सकती है और उस पर गहरा असर छोड़ सकती है | पुस्तक ही हमारा मार्गदर्शन कराती है |

पुस्तक पढ़ने के लाभ 

निजी पुस्तकालयपुस्तक पढ़ने के अनेक लाभ हैं | पुस्तक किसी भी पढ़ने वाले व्यक्ति के ज्ञान को बढाती है | पुस्तक न केवल विभिन्न विषयों के बारे में ज्ञान प्रदान करती है, बल्कि यह उसे समझदार भी बनाती है |

किसी भी पुस्तक को लिखने वाला लेखक कहलाता है | पुस्तक लेखक की कल्पना, भावना और ज्ञान की दर्पण होती है | पुस्तक के माध्यम से लेखक ज्ञान रुपी प्रकाश फैला देता है | पुस्तक को लिखने वाले भी इस दुनियाँ से चले जाते हैं, लेकिन पुस्तक हमेशा रहती है | पुस्तक किसी भी लेखक के नाम और काम को अमर कर देती है | जैसे की अरस्तू, शेक्सपियर महान दार्शनिक और साहित्यकार दुनिया को कब के छोड़ चुके हैं | लेकिन उनके द्वारा लिखी गई पुस्तक आज भी जीवित है |

इतिहास :

पहले के समय में पुस्तक हस्तलिखित होती थी क्योंकि पहले प्रिंटिंग की सुविधा नहीं थी | लेखक अपने ज्ञान को कलम के द्वारा लिखी जाती थी | अधिकतर ज्ञान का आदान-प्रदान बोलकर और कंठस्त करके होता है |

पुस्तकों के माध्यम से ही एक पीढ़ी का ज्ञान दूसरी पीढ़ी तक पहुँचती है | यदि हजारो साल पहले के ज्ञान को पुस्तक अगले युग तक नहीं पहुँचाती तो शायद एक वैज्ञानिक सभ्यता का जन्म संभव नहीं हो पाता |

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *