प्रस्तावना :
भ्रष्टाचार यह भिन्न दो शब्दों के मेल से बना हुआ हैं, जिसका अर्थ है भ्रष्ट तथा आचार अर्थात यह दोनों वह शब्द है, जिसका अर्थ यह होता है की वह व्यक्ति जो भ्रष्ट हो हमेशा अपने ही हित के बारे में सोचे और आचार का अर्थ है आचरण |
भारत देश में ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण विश्व में यह भ्रष्टाचार एक जटिल समस्या बन चुकी हुई है | भ्रष्टाचार एक कीड़े की सामान है जिसे हम दिमक भी कह सकते हैं जो की जल्द तो नहीं किंतु हाँ यह धीरे-धीरे जरुर भारत देश को खोकला बना देगा कारण यह हैं|
हमारे देश में सन २०१६ में कैश लेश इंडिया का कानून पारित हुआ| और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में लागू हुआ और अन्य सभी देशों में काफी समय से लागू है जिसके कारण हमारा देश आज भी बहुत पीछे हैं |
भ्रष्टाचार के मुख्य कारण
भ्रष्टाचार का मुख्य कारण यह है की, आपसी निजी स्वार्थ हैं जैसे की हमारे भारत के समाज में जब भी कोई नागरिक हमारे भारत देश में कोई भी सरकारी कार्य के लिए सरकारी दफ्तर में प्रवेश करता है उसे सरकारी कर्मचारियों की दूर व्यवहार के आचरण का सामना करना पड़ता है |
यहाँ तक तो फिर भी ठीक है, किंतु जब किसी भी छोटी – छोटी कार्य के लिए नागरिको कों रिश्वत अर्थात घुस देने पड़ते है तब नागरिकों में यह एक आक्रोश का रूप लेता हैं जो की हमारे लिए और हमारे समाज के लिए बहुत ही घातक है |
बड़े से बड़े अधिकारी हमेशा अपने और अपने बेटे ,भतीजे ,भाई ,बहन पोता ,पोती तथा अन्य रिश्तेदारों के लिए गैर कानूनी तरह से सरकारी कामों में आरक्षण करके रखते है , और जब आम नागरिको की बारी आती हैं| तब उन सब लोगों से सरकार द्वारा तैय किये गये राशी से ५०० गुना अधिक राशी की मांग करते है जिसे हम आम भाषा में घुस भी कहते है और यही भ्रष्टाचार का मुख्य कारण प्रारंभ से रहा है |
भ्रष्टाचार का हमारे आस-पास के समाज पर प्रभाव
भ्रष्टचार यह हमें शब्द से ही ज्ञात होता है की इससे हमारे समाज पर बहुत जादा कुशल प्रभाव नहीं पड़ेगा | मनुष्यों में ही नहीं यह हमारे वातावरण में फ़ैल गया है जो की हमारे लिए हमेशा से ही घातक सिद्ध हुआ हैं |
और अब तो एसा प्रतीत होता है की मानव भ्रष्टाचार के बिना एक पल भी जीवन व्यतीत नहीं कर पायेंगे जो हमारे समाज की बहुत बड़ी विडंबना बन गयी है | भ्रष्टाचार राजनीती की तो साँस बन गई है|
आज हामारे समाज पर भ्रष्टाचार का बहुत ही बुरा आसर पड़ा है जिसके कारण पूरा सिस्टम बिगड़ चूका है आज के समय में एक आम आदमी बिना कोई भी रिश्वत दिए या लिए कार्य नहीं कर सकता |
निष्कर्ष :
हम सब यह जानते हैं की आज के दैनिक समय में भ्रष्टाचार हमारे नस नस में बस चूका है- किंतु इसी भ्रष्ट आचरण में कुछ लोगों को आनंद भी प्राप्त होता है|
लेकिन वे यह हमेशा भूल जाते है की हमारा तो चलो बीत गया किंतु आने वाली पीढियों कों हम क्या संदेश दे रहे है अर्थात यह हमने शुरू किया है तो हम ही अंत भी करेंगे और भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाने हेतु हम नागरिको को ही इसका पहल करना होगा |