प्रस्तावना:
बचपन का जीवन हर किसी के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है | बचपन हर व्यक्ति के जीवन के मौज मस्ती से भरपूर होता है | वो बचपन के दिन बहुत ही सुहावने होते थे | बड़े होने के बाद हर किसी को बचपन की याद आती है | शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा जिसे अपना बचपन याद न आता हो| बचपन चिंताओं से मुक्त होता है | खेलने उछलने कूदने, खाने-पिने में बहुत ही आनंद अत है | बचपन में उतनी चंचलता और मिठास भरी होती है की हर कोई बचपन को जीना चाहता है|
बचपन में वह धीरे-धीरे चलना, गिर पड़ना और फिर से उठकर दौड़ना आज भी बहुत याद आता है | माता-पिता और दादा-दादी का प्यार और दुलार मुझे बहुत अच्छा लगता था | बचपन में एक चॉकलेट में जितनी खुशियां मिलती आज वह खुशी महंगी मिठाई मिलने के बाद भी नहीं मिलती है | बचपन में पिताजी के कंधे पर बैठकर मेला देखने में बहुत मज़ा आता था |
बचपन की मीठी यादों में खेलना कूदना, रोज रो-रो कर स्कूल जाना और स्कूल से आते ही खेलने जाना | दोस्तों के साथ गुल्ली डंडा, लुक्कन छुपायी, ऊँची आवाज में “अक्कड़ बक्कड बम्बा वो अस्सी नब्बे पूरे सौ , सौ में लगा धागा चोर निकल कर भागा और पौस्म पा भाई पौस्म पा इन शब्दों के बिना खेल अधूरा सा लगता था|
बचपन मन मिट्टी में खेलना और मिट्टी के छोटे-छोटे खिलौने बनाना हर किसी के यादों में बसा होता है | मुझे बचपन में जब कोई डांटा था तब मैं जाकर अपने माँ के अंचल में छुप जाता था | बचपना में माँ की लोरी सुनकर नींद आ जाती थी | लेकिन आज वह सुकून भरी नींद नसीब नहीं होती है |
मेरे बचपन का सबसे अधिक समय गाँव में ही बिता है | मुझे बचपन में मलाई खाना बहुत पसंद था | बचपन के वो मलाई और माँ के हाँथो का पराठा खाने का मजा ही कुछ और था |
बचपन में किसी के भी खेतों में जाकर चने, मटर और गन्ने उखाड़ लेना या किसी के भी पेड़ों पर पत्थर मार कर फल तोड़ना और जब माली घर पर शिकायत आने का याद आज भी आता है |
रोज दादा-दादी के कहानी सुनकर उनकहानियों में ऐसे खो जाना जैसे की कहानियों के असली पात्र में ही हूँ | दोस्तों के साथ सुबह-शाम खेलते और गाँव के गलियों में चक्कर काटते और खेतों में जाकर पक्षियों को उड़ाना |
गाँव की पाठशाला में एक ही शिक्षक थे जो गृहकार्य और पाठ याद् न होने पर हमें कई तरह के दंड देते थे | मेरे बचपन की यादें मुझे आज भी याद आती हैं | बारिश के मौसम में सभी लोगों से नजरें चुराकर भीगना और भीगते हुए पानी में अपनी नाव चलाना | बचपन में माँ के हाथों की ठंडी छाछ पीने में बहुत आनंद आता था |
यदि आपके पास मेरे बचपन पर निबंध से संबंधित कोई अन्य प्रश्न हैं, तो आप नीचे टिप्पणी करके अपनी क्वेरी पूछ सकते हैं।