प्रस्तावना :
इक्कीसवीं सदी में भारत में सबसे अधिक बदलाव आ चूका है | आज के समय में सभी चीजों की सुविधा उपलब्ध है | १९४७ ,एम् ब्रिटिश शासन से आजादी प्राप्ति के बाद आधी शताब्दी से भी अधिक समय बीत चूका है | पिछले ६३ वर्षों में भारत में गरीबी कम हुई है |
लेकिन अभी भी लगभग १५ प्रतिशत लोग बहुत ही दयनीय अवस्था में जीवन यापन कर रहे हैं | ऐसे लोगों को भूख के अलावा मूलभूत सुविधाओं, स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं और नौकरियों के अभाव का सामना करना पड़ रहा है | मध्यवर्गीय परिवारों की स्थिति कुछ विशेष रूप से भिन्न नहीं है
व्यापार
हमारा भारत एक कृषि प्रधान देश होने के साथ-साथ यह एक विकास के मार्ग पर चलने वाला देश है | इक्कीसवीं सदी का भारत बहुत ही परिवर्तन शील देश बन गया है |
विज्ञान
आज का युग विज्ञान का युग बन चूका है | भारत देश में आज के समय मेंकोई भी कार्य विज्ञान के द्वारा ही होता है | वैज्ञानिक तकनिकी के कारण हमें आज बहुत से बदलाव देखने के लिए मिला रहा है |लेकिन आज के युग में वैज्ञानिक साधनों का दुरुपयोग या फिर जरूरत से ज्यादा करने से कई प्रकार की परेशनियां देखने मिलती हैं | भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की पाँच प्रमुख अर्थव्यवस्थओं में सीक हो गई है |
इक्कीसवीं सदी में भारत देश के की सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्तीय मंत्री मंडल ने अभी हल ही में विदेशी प्रत्यक्ष (FDI पॉलिसी) को पूर्ण रूप से अपनी मंजूरी प्रदान की है | जिसे कई बहरी कम्पनियाँ भारत में बड़े पैमाने पर निवेश कर रही हैं | जिसका लाभ देश के अर्थव्यवस्था को मिलेगा |
बीमारी का इलाज
तकनिकी के इस क्षेत्र में भारत बहुत आगे बढ़ चूका है | यहाँ कई मशीनें, यंत्र आदि का आयात नहीं करना पड़ता है | हमारे देश में स्वयं ही उसका उत्पादन किया जा रहा है | जैसे बड़े-बड़े कारखानें में उत्पादन मशीनों की सहायता से माल बनाना, संगणक से कार्य करना आदि ने इस प्रक्रिया को सरल बना दिया है |
निष्कर्ष:
अंतराष्ट्रीय स्तर पर भारत की प्रतिष्ठा अधिक बढ़ रही है | खाद्य पदार्थों के क्षेत्र में विदेशी स्रोतों पर आंशिक रूप से निर्भर हैं | इसके अलावा देश की अर्थव्यवस्था विश्व की उन्मुक्त बाजार प्रणाली से सामंजस्य बिठा चुकी है | भारत अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राओं के समक्ष स्वतंत्र रूप से अपने रुपये का आदान-प्रदान कर रहा है |