प्रस्तावना :
गणेश चतुर्थी हमारे भारत देश का महोत्सव पर्व के रूप में मनाया जाता हैं | यह पर्व प्रभु गणेश जी के पूजा का महत्वा समझाता है, लोग गणेश जी की मूर्ति को अपने घरो, दफ्तरो तथा अपने आस-पास के स्थानों पर प्रत्येक व्यक्ति बड़ी ही श्रद्धा के साथ निमंत्रित करते हुए उनकी स्थापना करते हैं| और उनकी पूजा करते है | और यह मनोकामना करते है की हे प्रभु हमारे घर सु:ख शांति बनि रहे, हमारे सारे बिगड़े हुए काम बनजाये और समृद्धि दे| गणेश चतुर्थी कुल ११ दिन का होता है | इन ११ दिनों में बच्चो का आनंद भरा दिन भी होता है |
गणेश चर्तुर्थी की पौराणिक कथाएं
प्रभु गणेश जी भगवान शिव और माता पारवती के प्रिय पुत्र हैं | प्रभु गणेश जी को लोग न जाने कई नामो से पुकारते हैं, जैसे विनायक, विकट तथा गजानन इत्यादि |
चुकी माता पारवती अपने पुत्र से असीमित स्नेह करती थी, अतः वे थोड़े नटखट भी हो गयें थे| अर्थात वह अपनी बालक की अवस्था अपने माता के आदेश के पालन हेतु स्नान गृह के द्वार के पास अपने मूषक राज के साथ पहरे पर खड़े हो गये|
उसी समय शिव जी वही से जा रहे थे जिस रास्ते में स्नान गृह पड़ता है, फिर क्या था गणेश जी अपने माता के आदेश के पक्के उन्होंने अपने पिता को भी स्नान गृह की ओर नहीं जाने दिया|
तब शिव जी ने गणेश जी को बहुत समझाया किन्तु वह नहीं माने और क्रोध में आकर त्रिशूल से अपने पुत्र गणेश जी का सिर-धड से अलग कर दिया |
और गणेश जी की चीखने की आवाज सुन कर माता अचानक से बहार आ गई और अपने प्रिय पुत्र के मृत शरीर को सामने देखकर वह रोने लगी और उन्होंने भी क्रोध में आकर शिव जी को कहा की मेरे पुत्र को अभी जीवित करो| इसके पश्चात शिव जी को अपनी गलती का समझ में आया और उन्होंने गणेश जी के धड पर हाथी का सर लगा कर उसे जीवित किया |
गणेश जी की पूजा की विधि और इसका कारण
गणेश चतुर्थी के दिन प्रभु गणेश जी के जन्म दिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता हैं| भगवन शिव ने गणेश जी को यह आशीर्वाद दिया की सम्पूर्ण जग में जब कोई पूजा होगी तब सर्वप्रथम द्तुम्हारी पूजा होगी|
इसी कारण जब किसी के यहाँ पर कोई भी शुभ कार्य होता है जैसे, गृह प्रवेश, विवाह इत्यादि| हमारे भारत देश में इस त्यौहार में को बड़ी ही धूम-धाम से मनाया जाता हैं| यह पर्व अगस्त महीने के शुक्ल पक्षः के समय मनाया जाता है |
निष्कर्ष :
प्रत्येक योनी के प्रत्येक प्राणी के लिए क्रोध हानिकारक हैं, यदि क्रोध पर विजय पालिए तो अपने इस जटिल जीवन को वही पर सरल बना लेंगे |
किन्तु यदि ऐसा नहीं कर पाए तब सब कुछ पाकर भी सब खो दोगे अर्थात सर्वप्रथम माता-पिता उसके बाद शेष कार्य | गणेश चतुर्थी से हमें गणेश जी के भीतर के गुणों का सम्मान करके हमें उनसे कुछ सीखना चाहिए |