प्रस्तावना:
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक एक अच्छे व्यक्ति और शिक्षक थे | स्वतंत्र भारत के पहले उपराष्ट्रपति और उसके बाद राष्ट्रपति बने थे | वो एक शिक्षक होने के साथ साथ दर्शनशास्त्र और लेखक भी थे |
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन यह नियमो का पालन करने वाले और सिद्धान्तों को मानने वाले थे | जिन्होंने इस देश में मुख्य कारकरी की भूमिका निभाई हैं |
जीवन परिचय
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन इनका जन्म भारत के तिरुतनी स्थान पर ५ सितम्बर, १८८८ को तेलगू ब्राह्मण परिवार में हुआ था | उनका बचपन तिरुतनी यानि तिरुपति जैसे धार्मिक स्थलों बिता था | उन्होंने ८ साल तिरुपति में ही निकाले | उनके पिता का नाम रामास्वामी और माता का नाम श्रीमती सीता झा था |
शिक्षा प्राप्त
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन इन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के लिए क्रिश्चियन मिशनरी संस्था लुथर्न मिशन इस स्कूल में प्रवेश लिया था | उन्होंने सन १९०० से सन १९०४ तक वैल्लुर और मद्रास कॉलेज में शिक्षा प्राप्त कर ली |
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन उन्होंने दर्शनशास्त्र में एम. ए किया और सन १९१६ में वो मद्रास रेजीडेंसी कॉलेज में दर्शनशास्त्र के सहायक प्राध्यापक बन गए |
किताबों की निर्मिती
उन्होंने जाती और वर्ग के संबंधी समाज की स्थापना पर जोर देने के साथ – साथ देश की भारतीय परंपरा को प्रसिद्ध करने के लिए उन्होंने बहुत सारी किताबे लिखी |
‘द फिलॉस्फी ऑफ उपनिषद, ईस्ट एंड वेस्ट: सम रिफ्लेक्शन, ईस्टर्न रिलीज़न एंड वेस्टर्न थॉट’ यह उनकी प्रसिद्ध पुस्तके हैं |
महान व्यक्ति
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन इनके अंदर बचपन से हीमेधावी आवृत्ति थी | इन्होंने अपने द्वारा लिखे गए लेखों और भाषण से पुरे विश्व के लोगों को दर्शनशास्त्र के बारे में परिचय करके दिया | वो पुरे विश्व को एक विद्यालय की तरह मानते थे |
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन यह शिक्षा का बहुत पालन करते थे और बहुत विश्वास रखते थे | वो एक अच्छा शिक्षक, लेखक और दर्शन शास्त्र होने के साथ स्वतंत्रता सेनानी भी थे |
उनका कार्य
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन यह एक राजनीतिज्ञ भी थे | उनका कार्य और पात्रता देखके उन्हें संविधान निर्मात्री सभा का सदस्य बनाया गया था |
सन १९६२ में राजेंद्र प्रसाद इनका कार्यकाल समाप्त होने के बाद डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन इन्होने राष्ट्रपति का पद संभाला | उनको हर्तीय संस्कृति पर बहुत निष्ठां थी |
शिक्षक दिन
शिक्षक का कार्य सिर्फ ज्ञान देना नही होता हैं, बल्कि सामाजिक परिस्थिति के साथ छात्रों को जानकारी देना होता हैं | डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन इनके इस अच्छे योगदान की वजह से उनका जन्म दिवस हर साल ५ सितम्बर को ‘शिक्षक दिवस’ के रूप में मनाया जाता हैं |
निष्कर्ष:
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन यह सामाजिक बुराइयों को हटाकर शिक्षा को ही प्रभावशाली मानते थे | समाज और मानव का सबसे बड़ा आधार शिक्षा होती हैं |
उन्होंने अपने जीवन में उच्च पदों पर रहने के साथ शिक्षा के क्षेत्र में सबसे अच्छा योगदान दिया हैं | उनके अच्छे कार्य की वजह से उन्हें एक आदर्श शिक्षक के रूप में याद किया जाता हैं |