प्रस्तावना:
भ्रष्टाचार क्या है ? सर्वप्रथम हमें यह समझना होगा की भ्रष्टाचार को सामान्य शब्दों में यह कह सकते हैं की, जिसका आचरण भ्रष्ट हो यानी कि ऐसा व्यक्ति जो बुरी आदतों का शिकार हो तथा गैर-क़ानूनी क्रियायें करे इसे भ्रस्टाचार कहते हैं |
ऐसे व्यक्ति हमेशा से केवल अपने मन की ही करते हैं | फिर भले ही उससे सार्वजनिक लोगों को तकलीफ हो, तथा कानून व्यवस्था के आंखों में धूल झोंक कर केवल अपनी मनमानी ही करते हैं ऐसे लोगों को भ्रष्ट नागरिक भी कहा जाता है|
भ्रष्टाचार का प्रारंभ
भारत देश में ही नहीं बल्कि अनेकों देशों में भी भ्रष्टाचार स्थित है, किंतु भारत में भ्रष्टाचार का प्रारंभ केवल और केवल मात्र सरकारी अधिकारी के माध्यम से प्रवेश हुआ था|
भारत में भ्रष्टाचार की लहर ब्रिटिश सरकार के द्वारा लाई गई एक चिंगारी थी, जिससे आज हमारा भारत देश प्रचंड अग्नि में झुलस रहा है, जबकि शुरू में भ्रष्टाचार के द्वारा होने वाले लाभ का कई लोगों ने आनंद उठाया, लेकिन यह बहुत बड़ी समस्या बन गई है |
लेकिन भ्रष्टाचार जैसे संक्रामक रोग पूरे देश में एक बड़ी समस्या के रूप में है, फिर भी आज हमारे भारत देश के कुछ स्थानों पर इसे और भी बढ़ावा दिया जा रहा हैं |
भ्रष्टाचार एक प्राथमिक समस्या
भारत देश में आजादी के कुछ ही समय बाद ऐसा लगने लगा था, कि भारत भ्रष्टाचार के दलदल में धंस चुका है | उसी समय भ्रष्टाचार रोकथाम हेतु संसद में बहस भी छेड़ी गई थी भारत में भ्रष्टाचार को समाप्त करने हेतु सन 1993 मैं डॉक्टर मनोहर लोहिया ने एक बयान दिया था |
कि आने वाले समय में भारत देश में सिंहासन राजनीति तथा व्यापार हेतु झूठ बोले जाएंगे | जिससे भ्रष्टाचार को अपनी जगह बनाने के लिए सहजता होगी और यही कारण है कि, भ्रष्टाचार आज हमारे देश की प्राथमिक समस्या बन चुकी है|
भ्रष्टाचार हेतु किए जाने वाले रोकथाम
भारत सरकार ने ऐसी कई योजनाएं चालू की है, जिससे हमें लाभ उठाना चाहिए, जिसके लिए भा ज पा सांसद श्री अनिल माधव दवे ने भ्रष्टाचार की रोकथाम हेतु 1988 में संविधान में अपना बिल’ पारित किया था |
जिससे कि भ्रष्टाचार पर जल्द से जल्द रोक लगाना अनिवार्य हो गया है आए दिन भ्रष्टाचार के कारण जनता में क्रूर व्यव्हार देखने को मिला हैं जिसकी रोकथाम करने हेतु सरकार कई नियम कानून बना रही हैं, जैसे की एंटी करप्सन आदि |
भारत में भ्रष्टाचार का प्रभाव 
भारत देश में भ्रष्टाचार की रोकथाम जल्द से जल्द न करने पर भारत में जो प्रभाव देखने को मिल रहा है, वो कुछ इस प्रकार से है- जैसे की लोगों में आक्रोश भड़कना, सरकार तथा कानून व्यवस्था पर विश्वाश न करना और आक्रोश के कारण भारत में डकैती, हत्या, लुट ,चोरी, बलात्कार तथा अपहरण आदि ये सब भ्रष्टाचार के कुप्रभाव रहे हैं |
निष्कर्ष:
भारत में भ्रष्टाचार को बढ़ने का अवसर तब प्राप्त होता है, जब हमारे सरकारी दफ्तरों में हमारा कोई कार्य नहीं होता | अर्थात उस कार्य को शीघ्र ही पूर्ण करने हेतु हम कुछ “नगद” राशि नहीं देते हैं|
जब हमसे कोई रिश्वत की मांग करता हैं, तभी यदि हम उस भ्रष्ट कर्मचारी के विरुद्ध उसका विरोध करें, तो भ्रष्टाचार पर रोकथाम किया जा सकता है|